आज करेंगे उनकी बात
करते हैं जो वोट की बात
वोट की बात
वोट की बात
जो भी कोई मांगे वोट
साला सब में टोटल खोट
सत्ता की खातिर सालों ने
की है भारत पर भारी चोट
पहले की
डिग्री जाली बुद्धि खाली
मुंह खोले उल्टा बोले
मम्मी की जागीर समझ
भारत का राज मांगे
पार्टी में पीछे बैठे
कई ऐसे भी अभागे
जो भीष्म बनकर बैठे
और दुर्योधन साला आगे
सींच के धरती खून से
महाभारत ने समझाय
धरती पर आकर कृष्ण ने
गीता में ये बतलाया
जन्म और कर्म के युद्ध में
कर्म का भारत बनाया
मर जाऊंगा मैं
शर्म से
देश हटा जो गीता
धर्म से
जब बना है भारत
कर्म से
कैसे चुन लू राजा
जन्म से
दूजे की
छाती छप्पन इंच
जिसमें भरा घमंड
भगवा से हरे को अलग किया,
यही हमारे पापों का दंड
करता मेहनत दिन रात
जब से सत्ता पर आरोही
पर जिस ने कोई सवाल किया
कहा उसको देशद्रोही
हर आवाज़ को विभीषण कहता है
ये रावण है निर्मोही
राजधर्म क्या होता है
रामायण ने ज्ञान दिया
जिस के मंदिर को लड़ता है
उसने घर भी त्याग दिया
सवाल से धोबी के राजा ने
सीता का परित्याग किया
बन सिपाही नफरत का
कैसे पाठ राम का मिटने दूं
जंग में मंदिर मस्जिद की
कैसे राजधर्म को मिटने दूं
यहां महाभारत है
रामायण भी है
ना जाने ये
कौनसा युग है
न कृष्ण है न राम
चुप अर्जुन हनुमान
आज के कुरुक्षेत्र में
यह कैसा घमासान
न जाने यह
कौनसा युग है
हो न हो
साला यही कलयुग है
मैं कभी
डरता हूँ
पढ़कर खबरें घुट घुट
मरता हूँ
सुनकर भाषण क्रोध
से जलता हूँ
यह सोचकर
मचलता हूँ
की यह तेरी मेरी
हम सबकी
विफलता है
निर्बलता है
कि जो युग है
चाहै कलयुग है
फिर भी जनतंत्र में
जब सबसे बड़ी
जनता है
तो क्यों यह भारत
जलता है
तड़पता है
होकर भूमि
कुरूक्षेत्र की
अयोध्या की
राम और कृष्ण को
तरसता है
क्योंकि
इलेक्शन के मेले में
भीड़ में अकेले में
उसने बोला वोट दो
मैंने बोला नोट दो
लोन मेरा साफ करो
बिजली पानी माफ करो
खैर
अपनी बात फिर करेंगे
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